Gale Lagana To Parega Hi Hindi Poem by Dr. Bishwa Mohan Acharya


गले लगाना तो पडेगा ही

खुली हुई फ़िज़ा में कहीं चमन तो होगा ही 
यादे वफ़ा-शिआर में दर्दोग़म तो होगा ही।

सरशारे-तमन्ना में शिकवा किस बात का 
तेरी रुख्सते हाल में रंजोगम तो होगा ही।

चाहे जितने भी हो हसीं चेहरा इस जहां में 
तेरी मासूम चेहरे की अज़्मत तो होगा ही।

निकहतेँ है चारो तरफ दूर दूर तक चमन में
यूँ किसी रोज़ गुलशन का बयां तो होगा ही।

कौसो-क़ज़ा में लिखी हुई हो ए हालात "प्यासा"
हिज़्र में तसव्बूर को गले लगाना तो पडेगा ही।

डा. विश्वमोहन आचार्य "प्यासा"


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